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चंद्रवार से फ़िरोज़ाबाद तक बनने की कहानी

चंद्रवार गेट -------------- चंद्रवार गेट, फ़िरोज़ाबाद जिले के अंतर्गत आता हैँ। यहाँ पर विदेशी आक्रमणकारी मुहम्मद गौरी और राजा जयचंद के बीच युद्ध हुआ। चंद्रवार फ़िरोज़ाबाद नगर से 5 किमी दूर यमुना तट पर बसा हुआहै। वर्तमान मे चंद्रवार किसी समय एक महत्वपूर्ण और सुसमपन्न नगर था। जिसके विषय के जैन विद्वानों की यह मान्यता थी। यह क्षेत्र भगवान कृष्ण के वासुदेव द्वारा शासित रहा है। कहा जाता हैँ, की चंद्रवार नगर की स्थापना चन्द्रसेन ने कीथी। 1392 ई। में धनपाल के द्वारा रचित ग्रन्थ बनहुबली चरित्र में चंद्रवार के साँथरी राय, सारंग, और नरेंद्र, अभय चंद्र, रामचंद्र राजाओं का आह मिलता है। इतिहास ----------- चौहान वंश के राजा चंद्र सेन का महल आज खँडहर हो चूका हैँ। इस महल के करीब ही राजा चन्द्रसेन के बेटे का किला है। इस किले को राजा चंद्रपाल ने अपने पिता के याद में बनबाया था। इस किले को चंद्रवारों के नाम से जाना जाता है। यह किला शहर से 7 किमी दूर यमुना तट किनारे स्थित हैं। राजा चन्द्रसेन के महल से लेकर राजा चन्द्रवार के किले तक इस पूरे क्षेत्र को चंद्रवार का नगर के नाम सेजाना जाता है।] https://www.firo
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Bharat main vaxinataion main vishavguru

bharat main vaxination vishav guru banane ki agrasar- hal hi main Bharat ki bani kovaxin ke bahut saari vaxin ki demind aayi.jaise lagta hain bharat vishavguru banane ke path par chal raha.

https://1.bp.blogspot.com/-I11RQQPoxRE/X_2PEcXjf4I/AAAAAAAAS_g/8ewMrfaPWVEVrobIlMGGf8drUnitMsglwCPcBGAsYHg/s2048/IMG_20200701_060408.jpg

#WDFC-15C

dalelpur faridabad haryana

##chouhanvansavali

रामरतन देव जू के पुत्र संकटदेव जी हुए, संकट देव जी के 6 पुत्र हुए, एक पुत्र चंद्र सेन जी, बाकि चार बांदियों के हुए, 1-धिराज जू, जो रिजोरएटा मे जाकर बस गए, इन्हे राजा का रामपुर लड़की ब्याही गयी. 2-रणसुम्मेर देव जू, जो इटावा खास जाकर बस, गद्दी प्रतापनेर, बाद मे प्रताप गढ़ जाकर बसें. 3-प्रताप रूद्र, जो मैनपुरी मे बसे. 4-चंद्र सेन जी. जो चकरनगर, इटावा मे जाकर बसे, वहां से फ़िरोज़ाबाद (तत्कालीन नाम चंद्रावर मे जाकर बस गए. 5-चंद्र शेव जी, जो चंद्र कोना, असम जाकर बसे., इनके आगे की सन्तानति मे धवल चौहान हुए, जिन्होंने महा भारत की लिखी. -मैनपुरी मे बसे  राजा प्रताप रूद्र  जी के दो पुत्र हुए, 1-राजा वीरसिंह देव जू, जो मैनपुरी मे बसें 2-धारक देव जू, जो पतारा क्षेत्र मे जाकर बस गए. ------------------------------------------------------ मैनपुरी के राजा वीरसिंह जू देव के चार पुत्र हुए. 1-महाराजा धीरशाह जी, इनसे मैनपुरी  के आस पास के गॉव मे बस गए, असौली गॉव, करीमगंज  के पास  बस गए. 2-राव गणेश जू, जो एटा के गंजडुंडवारा मे जाकर बस गए, इनके 27 गॉव पटियाली आदि हैं. 3- कुंवर  अशोकमल जी, जो ग

चाहवान वंश (चतुर्भुज )

चाहवान  वंश (चतुर्भुज ) ---------------------------------------------------------------------------------------------------------- अग्निवेश के  सम्मेलन कर्ता  ऋषि --------------------------------------------------- 1-वत्सम  ऋषि 2-भार्गव ऋषि 3-अत्रि ऋषि 4-विश्र्वामित्र  ऋषि, बिभिन ऋषियों ने प्रकट होकर अग्नि देव को आहुति दी, तोह विभिन्न  ऋषियों ने चार वंसौ की उत्पत्ति की. इस प्रकार 1-पाराशर ऋषि ने प्रकट होकर अग्नि मैं आहुति दी, परिहार की उत्पत्ति की. (पाराशर  ऋषि गोत्र ) 2-वशिष्ठ ऋषि ने प्रकट होकर अग्नि मैं आहुति दी.तोह परमार की उत्पत्ति की.  (वशिष्ठ गोत्र ) 3-भारद्वाज ऋषि ने प्रकट होकर अग्नि मैं आहुति दी. तो सोलंकी  की उत्पत्ति की. (भारद्वाज  गोत्र ) 4-वत्स ऋषि ने प्रकट होकर अग्नि मैं आहुति दी. तो चौहान की उत्पत्ति की. (वत्स गोत्र ) चौहान की उत्पत्ति  अबू शिखर पर हुई. दोहा :- चौहान का  वंश उजागर  हैँ, जिन जन्म लियो धारी के भुजा चारी, बौद्ध मतों को विनाश कियो और विप्रन को दिए वेद सुचारी" चौहान की पीडियो की बाद अजयपाल  जी  महाराज पैदा हुए. जिन्होंने अबू पर्वत छोड़कर